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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2649
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।

अथवा
भोज परमार की राजनीतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
"भोज परमार एक महान शासक था। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
परमार भोज की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. परमार नरेश भोज के विषय में आप क्या जानते हैं?
2. भोज की साहित्यिक उपलब्धियों की व्याख्या कीजिए।
3. परमार भोज की उपलब्धियों को बताइए।
4. भोज परमार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
5. भोज की कलात्मक देन पर संक्षेप में लिखिए।
6. भोज परमार के युद्ध बताइए।

उत्तर -

परमार नरेश भोज ( 1011-1055 )

सिन्धुराज के उपरान्त उसका पुत्र भोज परमार वंश का उत्तराधिकारी बना। यह अपने समय का एक महान् शासक था। इसने अपने कार्यों से परमार वंश के गौरव यश को अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया। भोज ने सिंहासन प्राप्त करने के उपरान्त अपने परम्परागत शत्रु कर्णाट के शासकों से युद्ध किया।

कर्णाट के चालुक्यों से युद्ध - मेरुतुंग के अनुसार भोज सर्वप्रथम गुजरात पर आक्रमण करना चाहता था, परन्तु भीम के दूत दामर की कूटनीतिक मंत्रणा से भोज ने सर्वप्रथम कर्णाट प्रदेश पर आक्रमण किया। भोजचरित से आभास होता है कि भोज ने तैलप का घोर अपमान के उपरान्त वध कर दिया और इस प्रकार अपने चाचा मुंज की पराजय का प्रतिशोध किया।

भोज और चालुक्यों की शत्रुता इस युद्ध के उपरान्त भी समाप्त न हुई वरन् जयसिंह के पुत्र और उत्तराधिकारी सोमेश्वर के शासनकाल में कुछ वर्षों तक शान्त रहने के उपरान्त पुनः प्रारम्भ हो गई। सोमेश्वर ने सन् 1044 से सन् 1068 ई. तक शासन किया। इस समय तक भोज ने अनेक युद्ध किये थे, इसके परिणामस्वरूप उसकी शक्ति क्षीण हो चुकी थी। सोमेश्वर ने इस स्थिति का लाभ उठाया और भोज के विरुद्ध अभियान किया। विल्हण के अनुसार भोज, सोमेश्वर के आक्रमण के भय से भाग गया और चालुक्यों ने नगर पर अधिकार कर लिया। सोमेश्वर के एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि सोमेश्वर ने उस धारा नगरी पर विजय प्राप्त की जो उसके पूर्व शासकों के लिए अविजयी थी। सोमेश्वर ने इस अभियान में नागदेव, गुण्डमय जेमरस और माधव का भी सहयोग प्राप्त किया। चालुक्य नरेश ने इन सभी के सहयोग से मालवा पर विजय प्राप्त की और धारा को धूल-धूसरित कर दिया। परन्तु मालवा पर सोमेश्वर की यह सफलता अस्थायी थी और भोज ने उसके वापस आने पर मालवा पर पुनः अधिकार स्थापित कर लिया। परमारों की इस पराजय का मालवा पर अत्यन्त बुरा प्रभाव पड़ा जिससे बाद में भोज को निबटना पड़ा।

इन्द्ररथ से युद्ध - उदयपुर प्रशस्ति के अनुसार भोज इन्द्ररथ पर भी विजय प्राप्त की थी। यह इन्द्ररथ कौन था? उसके सम्बन्ध में साक्ष्यों का अभाव है परन्तु चोल वंश के तिरुवालगांडु अभिलेख और तिरुमल शिलालेख में इन्द्ररथ के नाम का उल्लेख मिलता है। इस पर राजेन्द्र चोल ने विजय प्राप्त की थी। सम्भवतः यह इन्द्ररथ उड़ीसा के किसी आदि नगर का शासक था। 

लाट से युद्ध - भोज ने लाट प्रदेश पर भी विजय प्राप्त की। कल्वन अभिलेख और उदयपुर प्रशस्ति दोनों से ही स्पष्ट होता है कि भोज ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त की थी। इस समय यहाँ का शासक गोउराज का पुत्र कीर्तिराज था। यह भोज का समकालीन था। कीर्तिराज के पुत्र गिलोचन पाल के दानपत्र से पता चलता है कि कीर्तिराज के शासन में उसके शत्रुओं ने उसके यश को कुछ समय के लिए हर लिया। उपरोक्त कथन की पुष्टि अप्रत्यक्ष रूप से इस शिलालेख से भी होती है।

कोंकण से युद्ध - इस प्रदेश पर शिलाहार वंश का शासन था। भोज का समकालीन शासक अरिकेशरिन (केशिदेव) था। सिन्धुराज के इस वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध था। परन्तु किन्हीं अज्ञात कारणों से दोनों वंशों के सम्बन्ध कटु हो गये। अतः भोज ने केशिदेव के ऊपर आक्रमण कर दिया। इसके शिलालेख से विदित होता है कि भोज ने कोंकण विजय के उत्सव को बड़े उत्साह से मनाया। भोज ने यह विजय सन् 1020 ई. में प्राप्त की थी। उसने इस प्रदेश पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।

तुरष्कों से युद्ध - मालवा की रक्षा करने के लिए भोज को मुसलमानों से कभी भी संघर्ष नहीं करना पड़ा। फरिश्ता के अनुसार आनन्दपाल को जब महमूद के आक्रमण की सूचना मिली तो उसने सभी भारतीय नरेशों से सहायता की प्रार्थना की। उज्जैन, ग्वालियर, कालिंजर, कन्नौज और दिल्ली के नरेशों ने एक संघ बनाकर आनन्दपाल की सहायता के लिए पंजाब की ओर अग्रसर हुए परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली।

1. पूर्व अवसर पर महमूद ने सुगमता से आनन्दपाल पर विजय प्राप्त की थी परन्तु इस बार वह अत्यन्त सतर्क था। सम्भवतः इसका कारण यही था कि उसके सामने भारतीयों की विशाल सेना खड़ी थी।

2. उदयपुर प्रशस्ति के अनुसार भोज ने भाड़े के सिपाहियों द्वारा तुरुष्कों को पराजित कर दिया। ऊपर स्वीकार किया जा चुका है कि भोज के समय मालवा पर मुस्लिम आक्रमण नहीं हुआ तब निश्चित रूप से भोज ने उपरोक्त संघ में भाग लिया था।

कल्चुरियों से युद्ध - भोज के समय समकालीन कलचुरी शासक गांगेय, विक्रमादित्य तथा कर्ण थे। कर्णाट प्रदेश पर आक्रमण के समय भोज ने गांगेय से एक सन्धि की थी, परन्तु जयसिंह चालुक्य की विजय के परिणामस्वरूप उपरोक्त सन्धि भी समाप्त हो गई। भोज ने त्रिपुरी पर आक्रमण क्यों किया। इसकी पृष्ठभूमि क्या थी? इन प्रश्नों का उत्तर देना सरल नहीं है परन्तु कल्वन अभिलेख तथा उदयपुर प्रशस्ति में भोज की चेदि नरेश पर विजय का उल्लेख है। पारिजात-मंजरी के कथन से भी इस तथ्य की पुष्टि होती है।

चन्देलों से संघर्ष - भोज का समकालीन शासक था। चन्देल नरेश विद्याधर उत्तर भारत का एक शक्तिशाली सम्राट था। अतः भोज को अपनी महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिए उस पर विजय प्राप्त करना अनिवार्य था। महोबा अभिलेख के अनुसार कलचुरियों के चन्द्रमा के साथ भोजदेव इस युद्ध के गुरु ( विद्याधर) की शिष्य की भाँति उपासना करता था। स्पष्ट है कि विद्याधर ने भोज को पराजित किया था।

ग्वालियर के कच्छप घातों से युद्ध - चन्देलों से पराजित होने के उपरान्त भोज की कन्नौज अभियान की लालसा पूरी नहीं हुई, परन्तु अभी भी उसके मार्ग में दो बाधायें थीं। उसने दुबकुण्ड के कच्छप घातों से मैत्री सम्बन्ध स्थापित करके उसने प्रथम बाधा को तो समाप्त कर लिया, परन्तु ग्वालियर के कच्छप घातों के साथ मैत्री पूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने में भोज असफल रहा।

कन्नौज पर आक्रमण - उदयपुर प्रशस्ति में अलग-अलग भीम और गुर्जर नरेश पर भोज की विजय का उल्लेख है। भीम गुजरात का शासक था। इस स्थिति में गुर्जर नरेश को कन्नौज का प्रतिहार शासक स्वीकार किया जा सकता है। मेरुतुंग ने भी कन्नौज नरेश पर भोज की विजय का उल्लेख किया है।

चाहमानों से युद्ध - सपालदक्ष की चाहमान शाका का नरेश वीर्यराम, भोज का समकालीन शासक था। पृथ्वीराज विजय के अनुसार अवन्ति के भोज ने वीर्य राम के गौरव को नष्ट कर दिया। इस कथन से स्पष्ट है कि भोज ने चाहमानों पर विजय प्राप्त की थी।

गुजरात के चालुक्यों से युद्ध - हेमचन्द्र का कथन है कि चामुण्डराज एक बार काशी यात्रा पर जा रहा था। मार्ग में मालवा नरेश ने उनका बड़ा अपमान किया। यात्रा पूरी करने के उपरान्त पाटन वापस आने पर उसने अपने पुत्र बल्लभराज को धारा पर आक्रमण के लिये एक विशाल सेना के साथ भेजा। दुर्भाग्य से मालवा पहुँचने के पूर्व ही मार्ग में उसकी चेचक के रोग से मृत्यु हो गयी। एक शिलालेख से भी इस कथन की पुष्टि होती है।

हेमचन्द्र ने दुर्लभराज के साथ भी भोज के संघर्ष का विवरण दिया है। परन्तु इस कथा के प्रमाण में अन्य कोई साक्ष्य नहीं है।

सिंध से वापिस आने पर भीम, भोज की शक्ति को समाप्त करने में लग गया। उसने आबू पर अधिकार कर भोज को खुली चुनौती दी। भोज अब दुर्बल हो चुका था, विदेशी डाकुओं ने उसके राज्य को जर्जरित कर दिया। मेरुतुंग का कथन है, "एक बार जब भोज धारा नगरी की सीमा पर स्थित कुल देवी के मन्दिर में प्रार्थना के लिये गया तो परिभ्रमण करते हुए गुजरात के सैनिकों ने उसे घेर लिया और वह किसी प्रकार अपनी जान बचाकर लौटा '

इस प्रकार उत्तर भारत के एक महान् सम्राट के जीवन का अन्त हुआ। भोज में वीरता और उत्कृष्ट गुणों का अपूर्व संगम था। उसने जीवन के मधुर और कटु अनुभवों का पूर्ण परिचय प्राप्त किया था। वह एक उच्चकोटि का सेनापति भी था। उसकी वीरता और पराक्रम को दक्षिण में कर्णाट और शिलाहार, पूर्व में कलचुरि और पश्चिम में चालुक्य स्वीकार करते थे। उसने अजमेर के मार्ग में कन्नौज तक अभियान किया। मेरुतुंग ने उसकी वीरता की अत्यधिक प्रशंसा की है।

भोज का अन्त यद्यपि दुःखद रहा फिर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह परमार वंश का एक पराक्रमी शासक था। उसने अपने युग की सत्ता को चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया था। उदयपुर अभिलेख में उसकी प्रंशसा करते हुये कहा गया है कि "पृथु की तुलना करने वाले भोज ने कैलाश से मलय पर्वत तक तथा उदयाचल से अस्ताचल तक की सम्पूर्ण पृथ्वी पर शासन किया। उसने अपने धनुष-बाण से पृथ्वी के समस्त राजाओं को उखाड़कर उन्हें विभिन्न दिशाओं में बिखेर दिया तथा पृथ्वी का परम प्रीतिदाता बन गया।"

भोज अपनी दानशीलता के लिये भी विख्यात था। इस सभी गुणों के कारण भोज अपने समय का अद्वितीय शासक था। डॉ. डी. सी. गांगुली का भोज की महानता के सम्बन्ध में यह कथन, "जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भोज की ये उपलब्धियाँ उसे मध्यकालीन शासकों में सर्वोच्च स्थान दिलाने के दावे का समर्थन करती हैं।"

साहित्यिक योगदान - परमार वंशीय नरेश मुंज का साहित्यिक क्षेत्र में महान् योगदान है। उसे अनेक शास्त्रों का ज्ञान था। उदयपुर प्रशस्ति में उसकी विद्वता के सम्बन्ध में उल्लेख है। वह इतना महान् विद्वान् था कि दशरूपककार ने उसके उद्धारणों को प्रस्तुत किया है।

डॉ. गांगुली के अनुसार मुंज केवल एक महान् योद्धा और महान् कवि ही नहीं था वरन् कला और साहित्य का महान् रक्षक था। उसके दरबार में अनेक विद्वान् और साहित्यकार निवास करते थे। मुंज के शासन काल के शासकों में पद्मगुप्त द्वारा रचित नवसाहसाङ्कचरित बहुत अधिक प्रसिद्ध है।

भोज की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। उसकी लोकप्रियता कितनी अधिक थी निम्नलिखित उदाहरण से स्पष्ट होती है,

"अद्य धारा निराधारा निरालम्बा सरस्वती,
पण्डिता खण्डिता सर्वे भोजराजे दिवंगते

अर्थात् आज भोजराज की मृत्यु के साथ धारा आधारहीन हो गयी, सरस्वती आश्रय रहित हो गयी है और पण्डित खण्डित हो गये हैं।

यथार्थ में भोज को प्राप्त करके सरस्वती के हर्ष की सीमा न रही। वह राजनीति, ज्योतिष, काव्य, व्याकरण और चिकित्साशास्त्र का महान् ज्ञाता था। उसने अनेक ग्रन्थों की रचना की, जिसकी परवर्ती विद्वानों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की और उसके ग्रन्थों के उद्धरण भी प्रस्तुत किये। कुछ विद्वानों का विचार है कि सम्भव है कि भोज ने अधिक ग्रन्थों की रचना न की हो, परन्तु इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि वह विद्वानों का महान् आश्रयदाता था। उसकी राजधानी धारा नगरी की भोजशाला यथार्थ में एक विश्वविद्यालय था। इसमें दूर-दूर के विद्वान् आते थे। शिक्षा के क्षेत्र में भी भोज का महान् योगदान है। उसने अनेक विद्यालयों की स्थापना की और विद्वानों का सम्मान किया।

कलात्मक देन - भोज ने निम्नलिखित प्रसिद्ध स्थानों की निर्माण व्यवस्था-

1. धारा नगरी की भोजशाला, विश्वविद्यालय।
2. धारा नगरी में विश्वविद्यालय के समीप निर्मित सरस्वती का मन्दिर।
3. भोज सागर तड़ाग।
4. कपालेश्वर तडाग।
5. अनेक शिव मन्दिर।

डॉ. डी. सी. गांगुली ने लिखा है कि “He was not only a great general and great Port but also a great Patron of art a culture."

भोज के निर्माण कार्यों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण धारानगरी का विद्यालय और उसके निकट बना सरस्वती मन्दिर था। सरस्वती मन्दिर के समीप ही दर्शनार्थियों के लिए एक कुआं भी सुविधा के लिए बनवाया गया था जो आज के समय में भी विद्यमान है। 35 वर्ग मील में विस्तृत भोज सागर जिसके तट पर भोजनगर की स्थापना की गयी थीं, भोज के निर्माण कार्यों में प्रमुख है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  9. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  10. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  11. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  12. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  15. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय उत्तर भारत की राजनीतिक दशा का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  17. प्रश्न- हर्षवर्द्धन के इतिहास को समझने में ह्वेनसांग के विवरण हमारी कहाँ तक सहायता करते हैं?
  18. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- हर्ष की प्रारम्भिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियाँ बताइए।
  20. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- हर्ष के पश्चात् कन्नौज की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- सिन्ध पर अरब आक्रमण के प्रभाव की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  25. प्रश्न- कश्मीर के राजनैतिक इतिहास में भाग लेने वाले वंशों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  27. प्रश्न- कश्मीर के शासक ललितादित्य मुक्तापीड के शासनकाल व राजनैतिक सफलताओं के विषय में बताइए।
  28. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  29. प्रश्न- कश्मीर के हिन्दू राज्य का इतिहास हमें किस ग्रन्थ से प्राप्त होता है?
  30. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  31. प्रश्न- ललितादित्य व यशोवर्मन के मध्य हुए पारस्परिक संर्घष के विषय में बताइए।
  32. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  33. प्रश्न- कन्नौज के शासक यशोवर्मन के प्रारम्भिक जीवन एवं राजनीतिक सफलता के विषय में बताइए |
  34. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  35. प्रश्न- यशोवर्मन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर अधिकार करने के लिये किन शक्तियों में त्रिकोणात्मक संर्घष प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- कन्नौज का यशोवर्मन किस वंश का था? बताइए।
  38. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  39. प्रश्न- यशोवर्मन के शासनकाल के विषय में बताते हुए उसके दरबार के विद्वानों तथा उत्तराधिकारियों के नाम बताइए।
  40. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  41. प्रश्न- त्रि-शक्ति संघर्ष के विषय में लिखिए।
  42. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  43. प्रश्न- सिंध राजवंश के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  44. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  45. प्रश्न- सिंध पर अरबों की सफलता के क्या कारण थे?
  46. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- "चचनामा" के विषय में संक्षिप्त रूप से बताइये।
  48. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  49. प्रश्न- दाहिर व मोहम्मद बिन कासिम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  50. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  51. प्रश्न- सिन्ध के इतिहास को संक्षिप्त रूप से अवगत कराइये।
  52. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  53. प्रश्न- अरोड़ की लड़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  54. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  55. प्रश्न- राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न मतों की विवेचना कीजिए।
  56. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  57. प्रश्न- राजपूतकालीन सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  59. प्रश्न- राजपूतों की अग्निकुण्ड से उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  60. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  61. प्रश्न- अलबरूनी के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  63. प्रश्न- राजपूतों के स्थानीय प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  65. प्रश्न- राजपूत काल में साहित्य की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  66. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  67. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  69. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम कौन था? प्रतिहार वंश के राजनैतिक इतिहास में उसकी उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  71. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उनकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  73. प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  74. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  75. प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल प्रथम के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का भी उल्लेख कीजिए।
  78. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  79. प्रश्न- प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  85. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रतिहार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- गुर्जर शासन का महत्व बताइए।
  90. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  91. प्रश्न- प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  92. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  93. प्रश्न- मिहिरभोज के आधिपत्य का विस्तार बताइए।
  94. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  95. प्रश्न- राजशेखर के ग्रन्थ के विषय में बताइए।
  96. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  97. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के क्या कारण थे? इसमें शामिल प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
  98. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  99. प्रश्न- सोलंकी वंश की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
  100. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  101. प्रश्न- सोलंकी वंश के प्रमुख शासकों से अवगत कराइये।
  102. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  103. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में राष्ट्रकूटों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  106. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  107. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में पालों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  109. प्रश्न- सोलंकी वंश के इतिहास को जानने के साधनों से अवगत कराइये।
  110. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  111. प्रश्न- सोलंकी वंश के राजनैतिक इतिहास के विषय में बताइये।
  112. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- परमार वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए। इस वंश की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- परमार शासक मुंज के विषय में बताइए। उसके शासन काल की राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  116. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  118. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- परमार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  120. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- परमारों की कला पर प्रकाश डालिए।
  122. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  123. प्रश्न- परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
  124. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  125. प्रश्न- परमार वंश के पतन का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  127. प्रश्न- नवसाहसांकचरित में वर्णित परमारों के इतिहास के विषय में बताइए।
  128. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  129. प्रश्न- भोज के उत्तराधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  131. प्रश्न- किन साधनों से बंगाल के पाल वंश के विषय में जानकारी प्राप्त होती है? इसकी उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  132. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  133. प्रश्न- पाल नरेश धर्मपाल के विषय में बताते हुए उसकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  134. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- पाल नरेश देवपाल के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  137. प्रश्न- भारतीय इतिहास में पाल वंश के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  138. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  139. प्रश्न- पालकालीन कला एवं स्थापत्य पर प्रकाश डालिए।
  140. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  141. प्रश्न- धर्मपाल की पराजय के विषय में बताइए।
  142. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- पालों की राजनैतिक सत्ता का चर्मोत्कर्ष बताइए।
  144. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  145. प्रश्न- हिन्दू शाही के पराक्रमी राजा "भीमदेव के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  146. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  147. प्रश्न- हिन्दू शाही को विस्तृत रूप से बताइये।
  148. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  149. प्रश्न- हिन्दू शाही वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  150. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  151. प्रश्न- त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  152. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  153. प्रश्न- महमूद गजनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  154. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  155. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  156. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  157. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- चन्देल वंश के इतिहास के साधनों का वर्णन करते हुए इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में बताइए।
  160. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  161. प्रश्न- चन्देल नरेश यशोवर्मन कौन था? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
  162. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  163. प्रश्न- चन्देल नरेश धंग के शासन काल एवं उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  165. प्रश्न- चन्देल शासक विद्याधर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन कीजिए।
  166. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  167. प्रश्न- कीर्तिवर्मन कौन था? उसके शासन काल के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  169. प्रश्न- चन्देल शासन काल में कला की क्या स्थिति थी?
  170. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  171. प्रश्न- चन्देलों के पतन के लिये कौन उत्तरदायी था?
  172. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  173. प्रश्न- खजुराहो मन्दिरों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  175. प्रश्न- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में किस वंश का उदय हुआ?
  176. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  177. प्रश्न- महमूद गजनवी का चन्देलों पर आक्रमण' के विषय में बताइए।
  178. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  179. प्रश्न- चाहमान वंश के इतिहास जानने के साधनों को बताते हुए इसकी उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
  180. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  181. प्रश्न- चाहमान नरेश अणराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उसके शासनकाल में हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन कीजिए।
  182. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  183. प्रश्न- चाहमान शासक विग्रहराज चतुर्थ के राज्यकाल का मूल्यांकन कीजिए।
  184. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  185. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी सफलताओं एवं असफलताओं परं विस्तृत लेख लिखिए।
  186. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  187. प्रश्न- चाहमानों की शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  188. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  189. प्रश्न- शाकम्भरी के चाहमान (चौहान) का परिचय दीजिए।
  190. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  191. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियाँ बताइए।
  192. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  193. प्रश्न- पृथ्वीराजरासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  194. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  195. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  196. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  197. प्रश्न- चाहमानों का बुन्देलखण्ड पर आक्रमण बताइए।
  198. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  199. प्रश्न- गहड़वाल वंश का इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
  200. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  201. प्रश्न- गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का उल्लेख कीजिए।
  202. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  203. प्रश्न- गहड़वाल नरेश जयचन्द्र का परिचय दीजिए। उसकी राजनीतिक सफलताओं तथा असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
  204. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  205. प्रश्न- गहड़वाल नरेशों के 'शासन प्रबन्ध' पर एक लेख लिखिए।
  206. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  207. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र गहड़वाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
  208. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  209. प्रश्न- जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनाएँ बताइये।
  210. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  211. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र के किन राज्यों से कूटनीतिक सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  212. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  213. प्रश्न- कलचुरि वंश के शासक गांगेयदेव के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  214. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  215. प्रश्न- कलचुरि नरेश लक्ष्मीकर्ण के विषय में बताइए उसके शासन काल की प्रमुख राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  216. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  217. प्रश्न- कलचुरि वंश का इतिहास जानने के साधन बताइए।
  218. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  219. प्रश्न- गांगेयदेव के राज्यकाल की घटनाएँ लिखिए।
  220. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  221. प्रश्न- कलचुरि वंश के पतन पर टिप्पणी लिखिए।
  222. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  223. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश के विषय में आप क्या जानते हैं? यहाँ के शासक विजयसेन की राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  224. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  225. प्रश्न- सेन वंश के नरेश लक्ष्मणसेन का परिचय दीजिए। उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  226. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  227. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
  228. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  229. प्रश्न- अरबों के सिन्ध पर आक्रमण का विवेचन कीजिए।
  230. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  231. प्रश्न- अरबों की सिन्ध विजय के परिणामों का परीक्षण कीजिए।
  232. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  233. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?
  234. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  235. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति बताइए।
  236. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।
  237. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारतीय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
  238. प्रश्न- 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की विजय और हिन्दुओं की पराजय के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
  239. प्रश्न- तुर्क आक्रमण के क्या कारण थे? इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
  240. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय शासकों के प्रतिरोध पर प्रकाश डालिए।
  241. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  242. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय भारत की दशा क्या थी?
  243. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए।

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